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तेज़ाब 2

By |2020-02-27T12:51:00+00:00February 27th, 2020|Inspiring Story, Love|
अगर जीने का हुनर हो तो हर मुश्किल आसान हो जाती है

ज़िन्दगी को जीने का शोख हो जिसे वो हर हाल में ज़िन्दगी के मुस्किलों से लड़ता है

हवलदार महते नंदू के मां और पापा को लेकर गोपालगंज थाने गए , और दूसरी गाड़ी से इंस्पेक्टर राजेश जाधव भी गए , गोपालगंज के इंस्पेक्टर हेल्लो सर मैं गोपालगंज का सीनियर इंस्पेक्टर सलीम शेख सर ये लड़की की जानकारी हमें दोपहर में दी गई जब कोई लड़का इस लड़की को हॉस्पिटल में ऐडमिट करके चला गया था , हॉस्पिटल के लोगों ने कहा कोई लड़का लेकर आया था , गोपालगंज  के इंस्पेक्टर ने राजेश जाधव से कहा लड़की के मां और बाप को हॉस्पिटल भेजिए अपने हवलदार के साथ आप आइए इस कैस के सिलसिले में कुछ बात करनी है आपसे इंस्पेक्टर राजेश , जी सर बोलिए सलीम शेख , जाधव सर ये लड़की कितने दिनों से गायब थी , इंस्पेक्टर जाधव , ये लड़की दो दिन पहले कॉलेज के आने के समय गायब होई थी , आप लोगों को इसके पास से कुछ मिला क्या , इंस्पेक्टर सलीम नहीं सर कुछ नहीं मिला पता चला है कि इसे कोई लड़का लाकर ऐडमिट किया था , हॉस्पिटल जा कर सयाद कुछ जानकारी मिले उस लड़के के बारे में तभी कैस आगे जा सकता है , लड़की के मां बाप हॉस्पिटल पहुंच चुके हैं , चलिए हम भी चले , इंस्पेक्टर राजेश जी हां चलिए दोनों लोग हॉस्पिटल पहुंचे , इधर नंदू की मां पापा नंदू के पास आ गए वो जब नंदू के चेहरा देखे जोर जोर से रोने लगे , हॉस्पिटल के नर्स ने उन्हें चुप कराया , इंस्पेक्टर राजेश जाधव , नर्स डॉक्टर को बुलाओ बात करनी है , नर्स हां सर बुला कर लाती हूं , नर्स डॉक्टर को बुला कर लाई , इंस्पेक्टर राजेश जाधव डॉक्टर साहब कैसी है हालत लड़की की , डॉक्टर , देखिए सर लड़की के चेहरे पर सिर्फ तेज़ाब गया है , चेहरा आधा से ज्यादा जल गया है , हमने सर्जरी की तैयारी कर दी है , सर्जरी करने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है , लड़की अभी खतरे से बाहर है , इंस्पेक्टर सलीम , डॉक्टर साहब इस लड़की को हॉस्पिटल में जो लड़का लाया था , उसका कोई पता या नंबर है , डॉक्टर वो आपको हमारा वार्ड बॉय बताएगा , नर्स वार्ड बॉय को बुलाओ , नर्स हा सर , नर्स वार्ड बॉय को बुला कर लाती है , इंस्पेक्टर सलीम , क्या नाम है तुम्हारा , वार्ड बॉय सर मेरा नाम लालित है लालित कुमार , इंस्पेक्टर सलीम लालित से इस लड़की को जो लड़का लाया था , वो कैसा था , उसका नंबर है , या पता कोई दिया है उसने , वार्ड बॉय लालित सर वो लड़का बॉडी बिल्डर था , वो लड़़की को गोद में उठा कर लाया था , देखने में सीधा साधा था , और बात भी बहुत अच्छे से कर रहा था , वो बोल कर गया था मैं अभी आता हूं  घर से गया फिर आया नहीं तो हम आप लोगों को फोन किए , इतने में वो देखो सर वो लड़का आ रहा है , वो लड़का नर्स से कैसी है वो लड़की नर्स अभी उसका सर्जरी होने जा रहा है , लड़का अच्छा इंस्पेक्टर सलीम , नर्स उस लड़के को मेरे पास भेजो , नर्स जी सर भेजती हूं , नर्स लड़के के पास गई सुनिए , लड़का हा मैडम बोलिए , नर्स आपको इंस्पेक्टर साहब बुला रहे हैं अंदर ऑफिस में लड़का ठीक है , मैं आता हूं उसके बाद वो लड़का ऑफिस में जाता है , इधर इंस्पेक्टर सलीम लड़के से क्या नाम है तुम्हारा और ये लड़की कहां मिली तुम्हें , लड़का सर मेरा नाम अफताब है ,मैं गोपालगंज में रहता हूं , मैं अपनी बहन के लिए दवा लेने गया था ,तब मैं इस लड़की को गोपालगंज के मेन रोड के किनारे पड़ा देखा तो इस लड़की की सांस चल रही थी , तो मैं इसे उठा कर हॉस्पिटल लाया , इंस्पेक्टर सलीम , फिर तुम इसे छोड़ कर क्यों चले गए थे , अफताब सर मैंने आपको बताया ना की मैं अपनी बहन के लिए दवा लाने गया था , इंस्पेक्टर सलीम , क्या हुआ है तुम्हारी बहन को अफताब सर 1 साल पहले मां और पापा का कार एक्सिडेंट हो गया था , जिसमें मां पापा नहीं रहे उनके साथ मेरी बहन भी थी , वो बच गई बस उसका पैर नहीं रहा , उसे बहुत तेज बुखार था , उसे दवा लाकर पीला कर मैं आया वापस हॉस्पिटल , इंस्पेक्टर सलीम , अफताब माफ़ करना हमारी वजह से तुम्हारी जख्म फिर उभर गया , पर क्या करें हमारा काम ही ऐसा है , इंस्पेक्टर सलीम ये लड़की जहां मिली उस समय वहां कोई और भी दिखा तुम्हें , अफताब सर कोई नहीं था , इंस्पेक्टर सलीम अफताब इस लड़की के पास तुम्हें मोबाइल मिला था क्या , अफताब नहीं सर इस लड़की के पास कुछ नहीं था ये रोड के किनारे पड़ी थी , इंस्पेक्टर सलीम अफताब क्या तुम हमें उस जगह लेकर चल सकते हो जहां तुम्हें ये मिली थी , अफताब जी सर चलिए मैं लेकर चलता हूं आपको इंस्पेक्टर सलीम अपनी टीम के साथ घटना वाली जगह गए , अफताब ने सब बताया वो को भी किया और जो देखा था वहां इंस्पेक्टर सलीम हवलदार विनय से विनय जिस दिन अफताब इस लड़की को यहां से लेकर गया था उसके अगले  दिन से जितने भी मोबाइल एक्टिव थे इस जगह पता लगाओ कौन सा मोबाइल ज्यादा समय एक्टिव था इस जगह पर , हवलदार विनय जी सर मैं पता लगता हूं , उसके बाद सब लोग थाने आ गए , इंस्पेक्टर सलीम अफताब से थैंक यूं अफताब तुम एक लड़की को नया ज़िन्दगी दिए अब तुम जा सकते हो , अगर हमें तुम्हारी जरूरत पड़ेगी तो बुलाएंगे तुम्हें , अफताब जी सर बुलाइए , उसके बाद अफताब अपने घर आ गया अपनी बहन के पास इधर नंदू का सर्जरी भी हो गया ,  नंदू को होश आ गया , डॉक्टर नंदू से नंदू ये तुम्हारा नया जन्म है  नए चेहरे के साथ तुम खुद को संभालना डरना मत थोड़ा मुश्किल है पर नामुमकिन नहीं ये बोल कर डॉक्टर नंदू के चेहरे से पट्टी खोलते हैं , पट्टी खुल गया नंदू की मां रो रही थी और बेटी के चेहरे को देख रहीं थीं , डॉक्टर नंदू को शीशा देते हुए नंदू देखो तुम्हारा नया जन्म नंदू ने शीशे में जैसे खुद को देखा जोर जोर से रोने लगी उसकी मां उसे चुप कराते हुए , बिटिया रोते नहीं वो लोग तुम्हारे चेहरे को जलाए हैं तुम्हारे हिम्मत और डॉक्टर बनने के जज्बे को नहीं जलाए बिटिया तुम डाक्टर बनोगी , नंदू की दोस्त सुजाता हां नंदू तू डॉक्टर बनेगी कोई नहीं हरा सकता मेरी बहन को , इंस्पेक्टर सलीम का मोबाइल बजा हा हेल्लो बोलो विनय क्या पता चला , विनय सर उस जगह दो दिन के अंदर जितने भी मोबाइल एक्टिव थे सबका पूरा डिटेल आ गया  है , आप आकर देख लो इक बार इंस्पेक्टर सलीम अपनी टीम के साथ थाने पहुंचे , हा विनय कितने मोबाइल थे वहां एक्टिव विनय सर मोबाइल तो बहुत एक्टिव थे पर सब आने जाने वालो का था , तीन मोबाइल वहां ज्यादा समय एक्टिव था , एक अफताब का है और ये दो मोबाइल एक का नाम राहुल है और एक का नाम रिहान है इन दोनों का मोबाइल अफताब के 1 घंटे पहले वहां एक्टिव था और करीब 20 से 25 मिनट वहां उसी जगह एक्टिव था , जहां नंदू मिली थी अफताब को इंस्पेक्टर सलीम ये केस हमारे एरिया में हुआ है तो मुजरिम को हमीं पकड़ेंगे , ये दोनों को उठाओ यही दोनों मुजरिम हैं , ठीक है सर हम इन्हे पकड़ते हैं ऐसे लोग समाज के लिए खतरा हैं , हवलदार विनय अपने कुछ लोगों को लेकर राहुल के घर गए वो टेबल पर बैठ कर ऐसे मज़े से खा रहा था , जैसे कुछ हुआ ही नहीं हवलदार विनय उसे पकड़ कर पुलिश स्टेशन ले गए दूसरा टीम रिहान को अरेस्ट करके पुलिश स्टेशन लेकर आए दोनों को पुलिश वाले बहुत मारे तब वो दोनो अपना जुर्म काबूले , इंस्पेक्टर सलीम बोलो क्यों लड़की की ज़िन्दगी खराब किए , राहुल सर मैं उसे बहुत पसंद करता था , पर वो अपने घमंड में रहती थी , मुझे देख लेती थी तो मेरे तरफ थूकती थी , मैं उसे बोला भी था कि मैं तुमसे प्यार करता हूं पर वो नहीं मानी मुझे देख कर थूकती और चली जाती थी , मैं उसे सबक सिखाना चाहता था , और एक दिन मैं एसिड खरीद कर लाया , मैंने रिहान को अपने साथ सामिल किया वो मेरा खास दोस्त है , और मुझे उस दिन सुजाता अकेली दिखी तो मैं समझ गया कि नंदू रास्ते में मिलेगी में एसिड छुपा लिया था अगर वो जैसे ही मेरे सामने आई मैं उसका हाथ पकड़ लिया और बोला नंदू मैं तेरे से बहुत प्यार करता हूं प्लीज मान जा पर नंदू ने मुझे गाली दी तो मैं गुस्से में पागल हो गया और एसिड उसके मुंह पर दे मारा वो चिलाने लगी तो हम उसका मोबाइल लेकर भाग गए ताकि वो किसी को कॉल ना कर पाए पुलिश  दोनों को 8 साल की सजा सुनाई , उधर नंदू अच्छी तो हो गई  पर उसे अपना पुराना चेहरा याद आता था , तो वो बहुत रोती थी , मां अपनी लाडली को चुप करा रही है धीरे धीरे नंदू इकदम अच्छी हो गई , नंदू की मां नंदू बिटिया जाओ अपने कॉलेज जाओ , नंदू नहीं मां अब मैं नहीं जाऊंगी कॉलेज सब मूझपर हसेंगे सब ताना करेंगे तू ऐसी थी वैसी थी , इसलिए तेरा चेहरा ऐसा हो गया , नंदू की मां नहीं बेटी कोई कुछ नहीं बोलेगा और बोलेगा भी तो कितना दिन बोलेगा हार मान कर मान ही जाएगा , नंदू बिटिया तेरे पापा का सपना तू पूरा नहीं करेगी , नंदू रोने लगी मां मैं पापा का सपना जरूर पूरा करूंगी , नंदू ने उस दिन ठान लिया अब चाहे उसे कोई कुछ भी कहे वो अपना इरादा नहीं बदलेगी वो अपने पापा का सपना जरूर पूरा करेगी  वो दूसरे दिन कॉलेज गई उसे दुबारा देख कर कॉलेज के लोग बहुत खुश हुए नंदू की स्वागत के लिए उसकी प्रिंसीपल खुद आई और नंदू की तारीफ किए नंदू ने जैसा सोचा था कि सब उसपर हसेंगे कोई उसकी मदद नहीं करेगें पर वैसा नहीं हुआ सभी लोग नंदू को अपना प्यार दिए सब उसकी मदद किए नंदू बहुत खुश हुई वो और दिल लगा कर पढ़ने लगी , नंदू सुबह कॉलेज के लिए निकली इतने में उसे अफताब दिखा पर वो सोची वो उससे बात करेगा भी या नहीं इसलिए वो अफताब से बोली नहीं और जाने लगी इतने में उसे लगा कोई उसे बुला रहा है , जब वो पीछे मुड़ कर देखी तो पास में आफताब को पाई अफताब बोला कैसे हो नंदू कुछ बोली नहीं जाने लगी इतने में अफताब नंदू का हाथ पकड़ लिया , नंदू क्या कर रहे हैं आप छोड़ो मुझे लोग देखेंगे तो क्या कहेंगे , अफताब कहने दो लोगों को अब ये हाथ कभी नहीं छोडूंगा , नंदू आप अच्छे हो मैं आप पर बोझ नहीं बनना चाहती , अफताब आप भी बहुत अच्छी हो  मैं आपसे शादी करना चाहता हूं मैंने देखा है आपके लिए लोगों के दिल में कितना इजात है वहीं इजात प्यार में बदल गया और आपको मेरी बहन भी पसंद करती है , नंदू हाथ छुड़ा कर  जाने लगी तो अफताब उसका पैर पकड़ लिया नंदू उसे उठा कर बोली आप मेरे साथ खुश रहोगे उम्र भर ये सुन कर अफताब के आंखों में आंसू आ गए ये देख कर नंदू को रहा नहीं गया वो अफताब को गले लगा कर रोने लगी दो दिल मिल गए दोनों खुश हो गए नंदू अफताब को अपने घर ले गई , नंदू अपनी मां से मां ये अफताब हैं ,ये मुझसे प्यार करते हैं , मुझसे शादी करना चाहते हैं , मां ये बहुत अच्छे हैं . मां नंदू बेटी मैं जानती हूं इनको ये वही हैं जो तुम्हें नया ज़िन्दगी दिए हैं , जब तुम इनके साथ खुश हो तो हमें कैसा ऐतराज़ होगा , तुम दोनों हमेशा खुश रहो नंदू अपनी मां से मां ये मुझे हमेशा खुश रखेंगे मैंने खुद के लिए इनके आंखों में प्यार देखा है . मां हा बेटी ये लड़का बहुत अच्छा है मां पर ये अभी शादी नहीं करेंगे ये चाहते हैं मैं पहले डॉक्टर बन जाऊं . मां हा बेटी अच्छे लोगों की यही यही पहचान है वो लोग अपनी नहीं पहले अपनों की खुशी देखते हैं , नंदू मां से मिलने के बाद कॉलेज जाने लगी अफताब नंदू से चलो हम आपको कॉलेज छोड़ देते हैं , अफताब नंदू को कॉलेज छोड़ कर घर आ गया नंदू का फाइनल परीछा है , इसके बाद डिग्री मिलेगी डॉक्टर का नंदू ये सोच कर बहुत खुश है की उसे इतना प्यार करने वाले मां और पापा मिले अब उन्हें छोड़ रही है तो उसे जान से ज्यादा प्यार करने वाला पति मिला नंदू खूब दिल लगा कर परिछा दी और पूरे कॉलेज में नंबर 1 पास हुई अफताब बहुत खुश हुआ , नंदू आंख की डॉक्टर बन गई अफताब और नंदू की शादी हो गई नंदू की ज़िन्दगी में खुशियों की बहार आ गई आज उन दोनो की शादी को 2 साल हो गए आज नंदू की एक छोटी बेटी है जिसका नाम आफरीन है …

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