
दहेज़ – एक मौत
सुबह के 7 बज रहे थे और मैं बड़ी घूंघट लिए गाड़ी पर सवार हो गयी | गाना बज रहा था बाबुल की दुआएं लेती जा ,जा तुझको सुखी संसार मिले।वहां मौजूद सभी लोगो के आंखे नम थी और मेरे आंसू रुक नही रहे थे। फुट फुट कर रो रही थी ,जैसे कोई बच्चा रो रहा हो बोर्डिंग स्कूल के नाम पर। अपने नए घर और नए परिवार के सदस्यों के बारे में सोच रही थी ,दूसरी महिलाओ की तरह मैं भी अपने पति से काफी उम्मीद लगाए खिड़की के बहार झांक रही थी। कई घंटो के सफर के बाद गाड़ी एक घर के आगे रुकी ,आँख खुली तो देखा सब आपस में बातें कर रहे थे नई दुल्हन आ गयी |
समय बीतता गया और कुछ ही दिनों में मैने पराये घर को अपना बना लिया था।आस-पड़ोस वाले भी कभी कभी घर मे किसी बहाने से ताक झांक करने ये जानने आ जाते थे कि अभी तक इसके घर मे बर्तन पटकने की आवाज़ क्यों नही आई है।
जिंदगी ने अचानक करवट ली और घर मे आफत का पहाड़ टूट पड़ा। एक तरफ मेरे पति की नौकरी छूट गई तो दूसरी तरफ मेरे ससुर जी बीमार पड़ गए। घर मे पैसे की समस्या आ गयी। फिर एक दिन मेरी सासु माँ ने मेरे पापा को फ़ोन किया और पैसे देने की बात कही लेकिन मेरे पापा ने थोड़ा समय मांगा तो सासु माँ फ़ोन पर चिल्लाते हुए बोली मुझे कल तक पैसे चाहिए नही तो अपनी बेटी वापस ले जाओ ,झुंझलाकर बोली थक गई मैं इतने दिनों से पैसे मांगते मांगते दहेज देने वक़्त तो ऐसे बोले थे बस बेटी विदा हो जाये अगले ही दिन पैसे मिल जाएंगे।
इन सब चीज़ों से मैं बिल्कुल अनजान थी लेकिन कभी कभी मेरे सास ,ससुर और पति तीनो यह सब बोलकर मुझपर तंज कसते हुए कहते थे भिखारी के घर हो | एक दिन मैं किचन में काम कर रही थी मेरे पति मेरे पास आये और चिल्लाते हुए मेरे बाल पकड़ कर घसीटते हुए बाहर की तरफ ले गए जहां मेरे सास ससुर बैठे थे।और उसी क्षण सासु माँ ने पापा को फ़ोन लगाया और पैसे देने की बात कहि लेकिन इस बार मेरे पापा ने इसका विरोध किया और थोड़ा गुस्से में बोले , तो सासु माँ ने अब इसका अंजाम बहुत बुरा होगा ये बोलते हुए फ़ोन काट दिया |
मैं जमीन पर बैठे कपस- कपस कर रो रही थी। कुछ देर बाद देखा मेरे पति के हाथ में एक डब्बा था और सासु माँ हाथ मे माचिस लिए ये बोल रही थी आज जला ही देते है इसे, वो लोग मुझे और मेरे घरवालों को भद्दी भद्दी गालियां दे रहे थे। मैं जमीन पर लेटी कभी पति के पैर तो कभी ससुर के पैर पकड़ कर अपनी जिंदगी की भीख मांग रही थी।
कुछ ही देर में वो लोग मुझे घसीटते हुए एक कमरे में ले गए जहां उनलोगो ने मेरे शरीर पर पेट्रोल छिडककर दरवाज़े को बाहर से बंद कर दिया ।मैं रोती रही , चिल्लाती रही ,पागलो की तरह इधर उधर भागती रही। मेरे चारो तरफ दीवार थे जिससे मैं बाहर जाने के लिए रास्ता देने की बात कह रही थी …
कुछ ही क्षण में देखा खिड़की से एक माचिस की तिल्ली जलती हुई मेरे पास आई और मैं कुछ ही पल में धु धु कर जलने लग गयी। बचने की बहुत कोशिश की कपड़े उतार कर इधर उधर भागी लेकिन उन बहसी दरिंदो ने कोई रहम नही किया और मैं अपनी जिंदगी की बची हुई 2 साल ही अपने ससुराल में बिता सकी। इस तरह मेरे आँखों के सामने समाप्त हो गयी मेरी दहेज वाली जिंदगी ।
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