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बापू के आँसू

By |2020-02-18T10:13:55+00:00February 18th, 2020|Education, Inspiring Story, People|

बापू के आँसू

शहर का महात्मा गाँधी चौराहा शहर के व्यस्ततम् चौराहो में आता हैं और आए दिन यह चर्चा में रहता हैं जिसका कारण हैं आए दिन होने वाली रोड़ रेज़ की और मारपीट की घटनाओं का होना।चौराहे के बीच में महात्मा गाँधी की मूर्ति की स्थापना 2 वर्ष पहले इलाके के विधायक द्वारा की गई जिसकी तस्दीक मूर्ति से बड़ा शिलान्यास कर रहा हैं।आज इस चौराहे पर निगम अफ़सरो और कर्मचारियो की भीड़ दिखाई दे रही हैं,सफाई कर्मचारी चौराहे को चमका रहे हैं।कल गाँधी जयंती हैं और यह सारी तैयारियाँ उसी के लिए हैं।बड़े-बड़े स्पीकर से यह एलान किया जा रहा हैं कि माननीय गाँधी जयंती पर वे महात्मा गाँधी को श्रद्धा-सुमन अर्पित करेंगे,अतः इस कार्यक्रम में सभी उपस्थित होकर कार्यक्रम को सफल बनाएँ।

गाँधी जयंती आ चुकी थी,तय कार्यक्रम के तहत माननीय का क़ाफ़िला स्थल पर पहुँच चुका था।कार्यक्रम की बोझिल औपचारिक शुरुआत के बाद माननीय को पुष्पमाला दी गई जिसे गाँधी जी की मूर्ति पर अर्पित करना था।कार्यक्रम की महत्ता का अंदाज़ा इस बात से चलता हैं कि वहाँ कवरेज़ के लिए रिपोटर्स में धक्का-मुक्की भी हुई जो कि आम जनता के लिए नयनाभिराम दृश्य था।तभी कैमरे की नज़र बापू की मूर्ति की आँखो पर गई,बापू की मूर्ति में आँसू दिखाई दे रहे थे,इसे देखकर कैमरामेन हैरान थे और यह कौतुहल पूरी भीड़ में फैल गया कि बापू की आँखो में आँसू दिखाई दे रहे हैं।बापू की आँखो में आँसू की ख़बर पूरे शहर में आग की तरह वाइरल हो गई और मीडियी कवरेज के बाद यह ब्रेकिंग न्यूज़ बन गई।पत्रकारिता का काला लबादा ओड़े चैनलो ने इसे टीआरपी के तवे पर सेंकना शुरु कर दिया।बड़े-बड़े चैनलो के रिपोटर्स घटनास्थल की लाईव कवरेज कर रहे थे।

आँसू की वज़ह तलाशते हुए एक रिपोर्टर ने माननीय से इसका कारण पूछा।
“देखिए ऐसा हैं कि बापू की आँखो में आँसू की वज़ह एक ही हैं और वो हैं देश में पल रहे देशद्रोही,जो देश का खाते हैं और सरकार की बुराई करते हैं…….बस मैं इतना ही कहूँगा…..धन्यवाद।”इतना कहकर माननीय अपने समर्थको के साथ चल पड़े।इस बयान से राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई और विपक्षी पार्टीयो ने यह आरोप लगाया कि सरकार की ग़लत नीतियो के कारण बापू के आदर्श भारत का स्वप्न टूट गया,जिससे वे दुःखी हैं।बापू चाहते हैं कि हमारी पार्टी फिर से सत्ता में आए जिससे सुशासन स्थापित हो सके।थोड़ी देर में दोनो दलो के समर्थको का जमावड़ा हो गया।समर्थक एक दूसरे के ख़िलाफ गंदी ज़बान में नारेबाज़ी करने लगे और यह नारेबाज़ी हिंसक हो गई,जिसमें कई लोग घायल हुए।

पूरे देश में ख़बर वाइरल होने पर यह सवाल अब सबके ज़हन में कौंध रहा था कि आख़िर बापू के आँसू के पीछे का राज़ क्या हैं।धर्मगुरुओ का कहना था कि आज की युवा पीढ़ी अपनी मज़हबी तालीम से दूर हो गई इसलिए बापू दुःखी हैं वहीं समाजसेवको का कहना था कि आजकल लोग सोशल-वर्क में डोनेशन नहीं कर रहें हैं।

यह ख़बर जब वैज्ञानिकी संस्थाओं तक पहुँची तो,कुछ टीमो ने मूर्ति का विश्लेषण कर इसकी रिपोर्टस तैयार की।लेकिन इन रिपोर्टस में भी मतभेद था।एक रिपोर्ट यह कह रही थी कि मूर्ति बनाने में एक वसीय पदार्थ का उपयोग किया गया हैं जो कि तापमान वृद्धि के कारण आँसू के समान दिख रहा हैं।वहीं एक रिपोर्ट कह रही थी कि मूर्ति ऐसे पदार्थ से बनी जिसमें सूक्ष्म रन्ध्रो की वज़ह से नमी को ग्रहण किया जो कि आँसू का कारण हैं।

इधर आम जनता इस खबर को सनसनी और एक तमाशे के रुप में ले रही थी।इस घटनाक्रम से चौराहे के पास रह रहे एक वृद्ध लोगो के इस नादाँ रवैये से परेशान थे।आख़िरकार वे कार्यक्रम के लिए बने मंच पर जा पहुँचे और माइक थामते हुए बोले,”बापू के वास्ते बंद करो यह तमाशा…..बूतपरस्तो। बापू के विचारो और उनके आदर्शो से कोई वास्ता नहीं,बस तुम्हें उस मूर्ति के आँसूओं के नाम पर तमाशा करना हैं……।इन आँसूओ की वज़ह जो भी हो लेकिन तुम्हारे इस रवैये से बापू ज़रुर दुःखी हो रहे होंगे।”

वृद्ध माइक पटकते हुए मंच से नीचे उतर रहे थे तभी उन्मादी भीड़ से एक पत्थर उनकी तरफ़ फेंका गया जो कि बापू की मूर्ति को जा लगा और मूर्ति टूट गई।चौराहे पर मरघट-सी शांति थी और वृद्ध मुस्कुराते हुए कुछ गाते हुए चल पड़े और वो शब्द थे-“रघुपति राघव राजाराम,सबको सन्मति दे भगवान।”

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