रोज सुबह मिस्टर खुराना सब्जी खरीदने जब भी बाजार जाते है कुछ ले न ले प्याज जरूर लेते है। आस पास वाले बोलते हैं की मिस्टर खुराना की जरूर कोई लाटरी लग गयी होगी तभी तो इतने महंगाई में भी रोजाना प्याज़ खरीदते है।
एक दिन तो उनके पड़ोसी मिस्टर आहूजा ने बोल ही दिया की आप तो बड़े अमीर निकले इतने मेहंगाई में भी प्याज खरीदते है। मिस्टर खुराना हंसकर घर के अंदर चले गए।
उसके अगले दिन उनके परोसी मिस्टर सब्बरवाल सुबह बाजार के लिए निकल ही रहे थे की तभी उन्हें मिस्टर खुराना दिखे। उन्होंने मन ही मन सोंचा की आज तो मैं मिस्टर खुराना के हर रोज़ का प्याज खरीदने के पिछे का रहस्य को सुलझा कर ही रहूँगा। यही सोंचकर उन्होंने तुरंत आवाज लगाई तो मिस्टर खुराना पीछे मुरकर देखे, फिर दोनों मिलकर बाजार की और बढ़ने लगे |एक कदम चले ही थे की मिस्टर सब्बरवाल ने चुप्पी तोड़ी और बोलै, “अच्छा खुराना जी, एक बात पूंछू”? खुराना जी हंस कर बोले, “आप यह पूछना चाहते है न मैं हर रोज इतनी महंगाई में प्याज क्यों खरीदता हु”?
यह बात सुनकर मिस्टर सब्बरवाल थोड़े शर्मिंदा हुए लेकिन उन्हें जानना भी था इसके पीछे का कारन तो उन्होंने सर हिलाते हुए हामी भरी | इतने में बाजार आ गई और दोनों ने खूब सब्जियां खरीदी | इतने सारे सब्जियां खरीदने के बाद मिस्टर सब्बरवाल को प्याज वाली बात अंदर ही अंदर परेशांन करने लगी। उनसे और संभाला नहीं गया उन्होंने उत्सुकता भरी आवाज़ में कहा आप प्याज कहा से लेते है? इतना कहा ही था की पीछे से एक ठेलेवाले ने आवाज लगाई, “बाबूजी आज आप प्याज नहीं लोगे” ।
यह सुनते ही खुराना जी रुक गए। जैसे ही दोनों पीछे मुड़े उनके सामने एक ४० वर्ष का एक बलिष्ठ आदमी खड़ा था जिसका एक हाथ कटा हुआ था। खुराना जी बोले सब्बरवाल जी से की आईये आपको किसी से मिलवाते है| यह है रमन, यह पहले रेलवे फाटक पे काम करता था एक दुर्घटना में एक हाथ गवा बैठा । उस दुर्घटना के बाद से रमन प्याज बेचने लगा ।
इसकी एक पांच साल की बेटी है जिसको वो एक अच्छे स्कूल में दाखिला करवाना चाहता है | लेकिन रमन के पास उतने पैसे नहीं है की व स्कूल की फीस भर सके।
रमन को मैं काफी दिनों से जनता हूँ, रमन एक ईमानदार और स्वाभिमानी इंसान है, इसीलिए मैं जब भी उसको कहता हूँ की मैं स्कूल के दाखिले के लिए जितना लगेगा दे देता हूँ , वह उतनी बार कहता नहीं, मैं इतना बड़ा एहसान का बोझ नई ले सक्ता हूँ । तब मैं जैसे बहुत बड़ा मुश्किल में पर गया था, मुझे तब यही एक उपाय नज़र आया तभी से मैं रमन के पास से प्याज खरीदने लगा , तभी एकदिन अचानक से प्याज़ के दाम आसमान छूने लगे मगर मैंने तो ठानी थी रमन को मदद करने की मैं पीछे तो नहीं हट सकता इसलिए मैं प्याज खरीदना बंद नई किया | यह बात सुनकर सब्बरवाल जी के आँखों में पानी आ गये और उन्होंने भी रमन से कहा ” मुझे भी दो किलो प्याज तोल दो रमन “|
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