वह गुस्से में पैर पटकती हुई अंदर आई और बोली “ये क्या बकवास लिखा है तुमने कि ये दुनिया असली नहीं है , तुम्हे दर्द नहीं होता , तुम्हारे सपने नहीं हैं और हाँ ये शून्य क्या है , बहुत जल्दी है तुम्हे शून्य से मिलने की । सब लोग तुम्हे पागल कह रहे हैं । और अगर तुम्हें शून्य ही चाहिए तो मेरी तरफ पलट कर मत देखना , न मुझे कभी अपना दोस्त कहना । समझे तुम ? “
मैं चुपचाप अपनी आँखें नीचे किए बेंच पर बैठा रहा । मानो सचमुच शून्य हो गया था ।
बात बारहवीं की बोर्ड परीक्षा के समय की है । मेरा पढ़ाई में बिल्कुल भी मन नहीं लगता था । एक पागल कर देने वाली कविता उन दिनों मेरे दिमाग में घूमती रहती थी । मैंने उसे शून्य का नाम दिया और धीरे धीरे मैं किसी दार्शनिक की तरह उस शून्य को परिभाषित करने लगा जो गणित से बहुत अलग था । यह वह शून्य था जो ब्रम्हांड की रचना के पहले था और जिसे मैं शायद कोई अलौकिक शक्ति समझता था । जैसे समुंदर की लहरों को देर तक निहारते समय हमारी मनःस्थिति लहरों की तरह चंचल हो जाती है , मैं शून्य को लिखते लिखते उसमें समाहित हो जाना चाहता था । मैं सचमुच पागल सा होने लगा था , कभी अपनी सांस रोक कर ध्यान करने लगता तो कभी अपने शरीर में घाव बना लेता । मैं अपने आप को पूर्णतः शून्य को समर्पित कर देना चाहता था । जब अंधकार मस्तिष्क को जकड़ लेता है तब हमारा दिल कोई ना कोई रोशनी का कतरा हम तक पहुंचाने की कोशिश करता है। मुझे कहीं ना कहीं मालूम था कि मैं अपने साथ गलत कर रहा हूं और तब मैंने यह निर्णय लिया कि मैं यह सारी बातें किसी न किसी को जरूर बताऊंगा ।
कक्षा की वह इकलौती लड़की जिससे मैं बात करता था, छवि नाम था उसका । अगले ही दिन मैं अपना सारा लेखा-जोखा उसके हाथ में थमा आया और कहा “देखो मैंने कुछ लिखा है , अगर वक्त मिले तो इसे पढ़ना और बताना तुम्हे कैसा लगा।“
2 दिन बाद जब कक्षा में कोई नहीं था और सब भोजन करने के लिए गए थे वह पैर पटकते हुए अंदर आई और गुस्से में मुझपर चिल्लाने लगी। मैं छवि की बहुत इज्जत करता था और इसीलिए मैं शांत रहा मैंने उससे कुछ भी नहीं बोला। फिर मैंने एक पन्ने पर लिखना शुरू किया और वो पन्ना भी मैंने छवि के हाथों में थमा दिया । उसमें सिर्फ यही लिखा था मैंने कि हो सके तो मेरी मदद करना मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा है। आंखें नीचे किए हुए मैं रोने लगा । मैंने छवि से से कहा तुम अभी जाओ मुझे अकेला छोड़ दो और हां वह नोटबुक मुझे कल वापस कर देना । वह चुपचाप चली गई । मुझे लगा कि वह भी अब मुझे पागल समझने लगी होगी । अगले दिन वह नोटबुक मेरे पास लेकर आई और बोली घर जाकर इसे खोलना और मैंने भी कुछ लिखा है वह पढ़ना । शाम को घर पहुंचते ही मैंने सबसे पहले नोटबुक खोली और जो भी छवि ने लिखा था वह पढ़ने लगा। उसे पढ़ने के बाद उस वक्त मेरी जिंदगी मानो सचमुच शून्य हो गई थी । अगर आप दिमाग से काम लेते हैं तो दिल की बातें सुनाई नहीं देती और अगर दिल पर कोई काबू पा ले तो दिमाग काम करना बंद कर देता है । उस वक्त मेरे लिए यह बात सबसे बड़ा वरदान साबित हुई जिसके कारण मैं आगे पढ़ भी पाया अच्छे नंबर भी लाया और आज हंसते हुए अपनी जिंदगी भी गुजार रहा हूं। और आज भी जब कभी मुझे शून्य के बारे में लिखने का मन होता है तो मैं वह नोटबुक उठाता हूं और छवि ने जो भी लिखा था वह पढ़ लेता हूं । यूं तो उसने उसने बहुत कुछ लिखा था मगर चंद लाइने जो मुझे आज भी याद है वह मैं आपको भी बताता हूं। उसने लिखा था-
” सॉरी मैंने तुम्हें डांटा जो मुझे नहीं करना चाहिए था क्योंकि जो भी तुमने लिखा है वह अजीब नहीं है बल्कि बहुत अलग है। मैंने कभी भी कहीं भी ऐसा कुछ पहले नहीं पढ़ा जैसा तुमने लिखा है। मगर तुमसे एक रिक्वेस्ट है की प्लीज तुम 2 महीने के लिए सिर्फ 2 महीने के लिए यह सब लिखना बंद कर दो क्योंकि अभी हमारी बारहवीं की परीक्षा होने वाली है जिसमें तुम्हें अच्छे नंबर लाने हैं । मम्मी, पापा ,भाई ,बहन इन सबके सपने पूरे करने हैं न अभी तुम्हे , वो भी तो तुमसे उम्मीदें लगाए बैठे हैं । और हाँ जितने हो सके उतने दोस्त बनाओ ,क्योंकि दोस्त बहुत हँसाते हैं और मैं जब भी तुम्हे हँसते हुए देखती हूँ ,मुझे खुशी मिलती है । क्या तुम मेरी खुशी के लिए इतना कर सकते हो ?
दूसरी बात, शून्य एक बहुत बड़ी चीज है जो इतने कम वक्त में शायद तुम्हें हासिल ना होगी। फिर भी अगर तुम्हें शून्य के बारे में लिखना है तो इतना याद रखना कि अगर तुम्हें कुछ हुआ तो सुन लो मैं भी नहीं पढ़ पाऊंगी और न कभी खुद को माफ कर पाऊंगी क्योंकि __मैं तुम्हें खोने से डरती हूँ
और जिस तरह तुम शून्य को प्यार करते हो
मैं वैसा प्यार तुमसे प्यार करती हूं ।“
शायद यह आपको बहुत मामूली शब्द लगेंगे लेकिन यह मेरी जिंदगी के वह प्रेरणादाई शब्द है जो मैं कभी नहीं भूल सकता। छवि अब नहीं है मगर उसके शब्द , उसका सच्चा प्रेम और उसकी दोस्ती मुझे आज भी जिंदगी के किसी भी मोड़ पर अकेला महसूस नहीं होने देती।
– Shivam Kumar Chadar
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1 no. Bro..
Keep it up 💓💓
Btw who is छवि ?
I remembered thre was no such girl in our class 😜😜😜