‘तू’ से ‘आप’ तक का सफर
"देख समीर, अगर तेरी यही जिद है तो सुन मुझे ये शादी ही नहीं करनी।" मैंने गुस्से में आव देखा न ताव, बस जो मन में आया बोल दिया। उधर फोन पर समीर की तो जैसे बोलती ही बंद हो गई। [...]
"देख समीर, अगर तेरी यही जिद है तो सुन मुझे ये शादी ही नहीं करनी।" मैंने गुस्से में आव देखा न ताव, बस जो मन में आया बोल दिया। उधर फोन पर समीर की तो जैसे बोलती ही बंद हो गई। [...]