My Love ……….
दीवाली की सफाई चल रही थी….दोपहर का समय था और पापा अपने पुराने बक्से में से किताबों को निकाल कर उन पर से धूल साफ करके बड़े करीने से लगा रहे थे। पापा एक के बाद एक किताब को बड़ी नफ़ासत से जमा रहे थे मानो कोई माँ अपने बच्चे को पालने मे आहिस्ता और प्यार से सुला रही हो। वहाँ सेकड़ो किताबें पापा को अपने चारों तरफ़ घेरे हुए थी।
साहित्य मे कम रूचि है मुझे….इसलिए शायद बस उन किताबो की एक धुंधली सी झलक मानसपटल पर है। मुझे काम निपटाने की जल्दी थी, ताकि हम दोपहर का भोजन कर सकें। इसलिए मैं किताबें साफ करके पापा को पकड़ाने लगी। तभी एक बड़ी भारी मोटी और नीले रंग की किताब मेरे हाथ में आई तो अनायास ही मेरे मुँह से निकल पड़ा…बाप रे! इतनी मोटी किताब….? पापा ने वो किताब अपने हाथ में ली……बड़े प्यार से मुस्कराते हुए कहा…’बेटा it is oxford’s dictionary ‘ इस किताब को हाथ में लेते ही पापा की आँखों मे एक अलग ही चमक देखी मैन , जैसे वो उनके बरसों के बिछड़े दो साथी एक लंबे अरसे के बाद मिले हों। बहरहाल…मैं उनसे कुछ पूछती उससे पहले ही वो पुरानी यादों के एक गहरे समंदर में गोता लगाने चले गए। उनके चेहरे पर एक तिरछी मुस्कराहट और बेहद मुग्ध कर देने वाली आवाज़ मे वो बोले….”बेटा तुम्हे पता है कई महीनों तक ये किताब मेरी तकिया बनी है। मैं रात को इसे तकिये की तरह सर के नीचे लगा कर सोता, ताकि सोते सोते कहीं कोई शब्द का अर्थ याद न आये तो तुरंत कंसल्ट कर सकूं।” मैंने वो सफाई वाला कपड़ा छोड़ दिया मम्मी खाने के लिए आवाज़ दे रहीं थीं…. पर अब मानो खाने से ज्यादा उस बात को पूरी करने की भूख थी। मैंने उत्सुकतावश प्रश्नों की झड़ी सी लगा दी थी।
पापा ने मुझे बताना जारी रखा…..’वो बोले इतने संसाधन नहीं थे तब, न कोई मार्गदर्शन करने के लिए पर मन मे एक जुनून था। कुछ कर गुज़रने की बात….किसी ने कह दिया कि grammer आती है तो उसके सिद्धांत कंठस्त किए। कोई बोला कि dictionary याद करनी पड़ती है तो बस दिन रात लग कर dictonary याद करने लग गए….। सैंकड़ो कॉपियां भर दी ट्रान्सलेशन पक्का करने के लिए उसके बाद हमने थर्ड ग्रेड का फॉर्म भरा, selection नहीं हुआ। सेकंड ग्रेड का फॉर्म भरा तब भी निराशा ही हाथ लगी।’
“हमने कभी हार नहीं मानी बच्चे । ” हर पराजय को एक नई चुनौती मान कर उसका सामना किया है। हर बार मुश्किलों से कहा – “देखते हैं किसमें ज्यादा दम है।” आगली बार मैंने न तो 3rd ग्रेड का भरा न 2nd……. खुद से ही वादा किया कि अबकी बार इस 1st ग्रेड के एग्जाम को पटकेंगे। मेरा RPSC के 10 टॉपर्स में नाम आया। “बेटा वो जो interview panel था न….झूम गया के वाह! क्या कैंडिडेट है। एक भी सवाल ऐसा नही आया जब मुझे कहना पड़े के I’M sorry sir! ”
‘ महान वो इंसान नहीं है जो कभी गिरा ही नही है, बल्कि महान वो है जो बार बार गिरने के बाद भी फिर खड़ा हो रहा है और हार नहीं मान रहा। कभी हार से हारो मत उसे दिखा दो तुम क्या हो। फिर अंत मे उन्होंने अपनी पसंदीदा पंक्तियाँ बोली……”you Give world the best and the best will come back to you” “खाना ठंडा हो जाएगा…….मम्मी के इस कथन ने मानो पापा की वो तंद्रा तोड़ दी। हम दोनों खाने के टेबल की ओर बढ़े पर पापा ये बाते मानो अमिट छाप छोड़ गई। मन ने ठान लिया था कि पापा की तरह सही मायने मे जीवन जीना है। जब भी मुसीबतें आये डट कर सामना करना है।
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